हमारा विद्यालय - एक परिचय
भारत की सांस्कृतिक राजधानी काशी के सुरम्य वातावरण के मध्य स्थित डीएवी इंटर कॉलेज वाराणसी का अपना एक गौरवमयी इतिहास रहा है। यह विद्यालय नगर के मध्य अत्यंत शांत व सुखद वातावरण में पतित पावनी मां गंगा, निर्मल वरुणा तथा असि नदी के मध्य अवस्थित है। इस विद्यालय की स्थापना सन 1912 में की गई थी। विद्यालय को हाई स्कूल की मान्यता सन 1921 में तथा इंटरमीडिएट की मान्यता सन 1951 में प्राप्त हुई । यह विद्यालय आर्य विद्या समिति द्वारा संचालित एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश के अधीन अशासकीय सहायता प्राप्त संस्था है। वर्तमान में इस विद्यालय में कक्षा 6 से कक्षा 12 तक की कक्षाएं में संचालित होती हैं। इंटरमीडिएट स्तर पर विद्यालय में विज्ञान, वाणिज्य तथा मानविकी वर्ग की कक्षाएं संचालित होती हैं। विद्यालय में एनसीसी की 03 यूनिट संचालित है। वर्तमान समय में यह विद्यालय 25 कक्षा-कक्ष, दो व्याख्यान कक्ष, एक सभागार,विशाल प्रार्थना स्थल, सुसज्जित व समुन्नत प्रयोगशालाओं, कम्प्यूटर कक्ष, संगीत प्रशिक्षण कक्ष व समृद्ध पुस्तकालय से युक्त है।
इस विद्यालय की विकास यात्रा के प्रारंभिक काल में स्व. केशव देव शास्त्री जी, स्व. बाबू गौरीशंकर जी एवं स्व. पंडित रामनारायण त्रिपाठी जी जैसे प्रतिष्ठित महानुभावों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
यह विद्यालय प्रारंभिक काल से ही विद्वान, सुयोग्य एवं सुप्रसिद्ध प्रधानाचार्य, शिक्षकों एवं शिक्षार्थियों से सुशोभित रहा है।यहां के शिक्षक व शिक्षार्थी शिक्षा,कला, साहित्य एवं राजनीति के क्षेत्र में शीर्ष पदों को सुशोभित करते रहे हैं। इस विद्यालय के भूतपूर्व प्रधानाचार्य एवं सदस्य-विधान परिषद स्व. श्री केशव देव प्रसाद गौड़ "बेढब बनारसी" जी एक श्रेष्ठ साहित्यकार एवं व्यंग्यकार थे। विद्यालय के भूतपूर्व प्रधानाचार्य स्व. सुधाकर पाण्डेय जी संसद सदस्य तथा नागरी प्रचारिणी सभा,काशी के मंत्री(प्रधान) रहे हैं। विद्यालय के भूतपूर्व प्रवक्ता स्व. कैलाश नाथ सिंह जी शिक्षामंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार जबकि भूतपूर्व प्रधानाचार्य स्व. उदय नारायण सिंह जी सदस्य विधानसभा भी रह चुके हैं। यह विद्यालय महान साहित्यकार एवं विद्यालय के भूतपूर्व प्रवक्ता पद्मश्री स्व. हनुमान प्रसाद शर्मा "मनु शर्मा जी" की कर्मभूमि भी रही है। इन्हें "कृष्ण की आत्मकथा" नामक उपन्यास के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेई जी द्वारा सम्मानित भी किया गया है। महान साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन जी ने भी इस विद्यालय से शिक्षा ग्रहण की है।
इस विद्यालय ने साहित्य, संगीत, कला, विज्ञान के क्षेत्र में भी विशिष्ट उपलब्धियां हासिल की हैं।पद्म विभूषण से अलंकृत संगीत गायन के पुरोधा राजन-साजन मिश्र जी इस विद्यालय के छात्र रहे हैं। युवाओं में कला, संगीत एवं संस्कृति के प्रति जागरूकता हेतु इस विद्यालय को प्रख्यात तबला वादक पद्मविभूषण स्व. पंडित किशन महाराज जी को समर्पित व्याख्यान केंद्र बनाया गया है,जो संगीत नाटक एकेडमी से संबद्ध संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित है।
यह विद्यालय खेलकूद के क्षेत्र में भी सदैव अग्रणी रहा है। विद्यालय के छात्रों ने प्रादेशिक व राष्ट्र स्तरीय प्रतियोगिताओं में विशिष्ट उपलब्धियां प्राप्त कर विद्यालय के गौरव को बढ़ाया है।
वर्तमान में विद्यालय के संरक्षक व प्रेरणास्रोत डॉ सत्यदेव सिंह जी द्वारा इस विद्यालय में शैक्षणिक संवर्धन व विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु कंप्यूटर शिक्षा, स्पोकन इंग्लिश तथा योग एवं जिमनास्टिक इत्यादि पाठ्य सहगामी गतिविधियों का निःशुल्क संचालन कराया जा रहा है, जिसका एकमात्र उद्देश्य इस विद्यालय की गौरवमयी परंपरा को निरंतर जीवन्त स्वरूप प्रदान करना है।
सामाजिक न्याय के पुरोधा व शैक्षिक जगत के कुशल प्रशासक, राजनीतिज्ञ एवं बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी डीएवी कॉलेज के पूर्व प्रबंधक सव. पी.एन. सिंह यादव जी के सपनों को साकार करते हुए उनके सुपुत्र एवं विद्यालय के प्रबंधक श्री अजीत कुमार सिंह यादव जी इस शैक्षणिक संस्थान को नित नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। विद्यालय के चतुर्दिक विकास हेतु उनकी प्रतिबद्धता कर्मठता व सहजता विद्यालय परिवार में नई ऊर्जा का संचार करती है।उनकी इस प्रतिबद्धता और समर्पण के फलस्वरूप ही वर्तमान में विद्यालय प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिमान स्थापित करते हुए निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।